भगवान श्री गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले गणपति बप्पा की पूजा अवश्य की जाती है। वे विघ्नहर्ता (बाधाओं को दूर करने वाले), बुद्धि के देवता, और सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं।
गणेश जी की सच्ची आराधना से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं, बुद्धि का विकास होता है, और सफलता की प्राप्ति होती है। यह लेख आपको गणेश जी की संपूर्ण आराधना विधि, आवश्यक मंत्र, व्रत-उपवास, शुभ मुहूर्त और विशेष पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

गणेश जी की आराधना का महत्व – क्यों करें गणेश जी की पूजा?
धार्मिक महत्व:
- गणेश जी देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं
- सभी देवताओं में प्रथम पूज्य माने जाते हैं
- विघ्नविनाशक और मंगलमूर्ति के रूप में पूजे जाते हैं
- नए कार्यों की शुरुआत में उनकी आराधना अनिवार्य मानी गई है
आध्यात्मिक लाभ:
- बुद्धि और विवेक में वृद्धि
- मानसिक शांति और एकाग्रता
- आत्मविश्वास का विकास
- जीवन में सकारात्मकता
व्यावहारिक लाभ:
- व्यापार और नौकरी में सफलता
- शिक्षा में उन्नति
- विवाह और संतान प्राप्ति
- धन-संपत्ति में वृद्धि
- शत्रुओं का नाश
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (पूजा सामग्री लिस्ट)

मुख्य सामग्री:
मूर्ति और आसन:
- गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा (मिट्टी या धातु की)
- लाल या पीला वस्त्र (मूर्ति ढकने के लिए)
- चौकी या आसन
- लाल चंदन का पेस्ट
- कलश (जल पात्र)
पूजा सामग्री:
- दूर्वा घास (21 या 108 दूर्वा युग्म) – गणेश जी को अत्यंत प्रिय
- फूल: लाल हिबिस्कुस, गेंदा, चमेली, कमल के फूल
- माला: गेंदे या गुलाब की माला
- अगरबत्ती और धूप: मोगरा, चंदन या गुग्गुल की धूप
- दीपक: घी या तिल के तेल का दीया
- कपूर: शुद्ध कपूर
भोग सामग्री:
- मोदक (गणेश जी का सबसे प्रिय भोग)
- लड्डू: बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू, मोतीचूर लड्डू
- फल: केला, नारियल, अनार, सेब
- पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और चीनी का मिश्रण
- गुड़ और चना
अन्य आवश्यक सामग्री:
- अक्षत: कच्चे चावल (हल्दी और केसर मिले हुए)
- हल्दी पाउडर
- कुमकुम (सिंदूर)
- पान के पत्ते और सुपारी
- जनेऊ (यज्ञोपवीत)
- सिक्के
- मोली (कलावा)
- गंगाजल या शुद्ध जल
- लौंग और इलायची
- तुलसी के पत्ते (वैकल्पिक)
- थाली (स्टील या चांदी की)
- आरती थाली
- घंटी
रंगोली सामग्री:
- गुलाल (गुलाबी पाउडर)
- पीला, नारंगी और सफेद रंग
- फूलों की पंखुड़ियां
संपूर्ण पूजा विधि (षोडशोपचार पूजा)
गणेश जी की पूजा 16 उपचारों (षोडशोपचार पूजा) के साथ की जाती है। यहां संपूर्ण विधि दी जा रही है:

प्रारंभिक तैयारी:
- स्नान और शुद्धि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- स्वच्छ और नए या धुले हुए वस्त्र धारण करें
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें
- पूजा स्थल की सफाई:
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें
- चौकी पर स्वच्छ लाल या पीला वस्त्र बिछाएं
- गणेश जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें
1. दीप प्रज्वलन (Deep Prajwalan)
सबसे पहले दीपक जलाएं:
मंत्र: "ॐ शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसम्पदा।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते॥"2. संकल्प (Sankalpa)
दाहिने हाथ में जल, अक्षत, फूल और सिक्का लेकर संकल्प करें:
संकल्प मंत्र:
"ॐ विष्णुः ॐ विष्णुः ॐ विष्णुः।
अद्य (आज की तिथि, वार, पक्ष, मास, संवत्सर) शुभे शोभने मुहूर्ते
(अपना नाम) अहं मम सर्वकार्य सिद्धयर्थं, सर्वविघ्ननिवारणार्थं,
श्री महागणपति देवस्य पूजनं करिष्ये।"3. आवाहन (Avahana) – आह्वान
गणेश जी को आवाहन मुद्रा (दोनों हथेलियों को जोड़कर और अंगूठे को अंदर मोड़कर) दिखाते हुए:
आवाहन मंत्र:
"आगच्छ देव-देवेश! तेजोराशे गणपते!
क्रियमाणां मया पूजां गृहाण सुर-सत्तम!
॥ श्रीमद्-गणपति-देवम् आवाहयामि ॥"
अर्थ: हे देवों के देव! हे तेजस्वी गणपति! हे देवताओं में श्रेष्ठ!
कृपया आएं और मेरी पूजा स्वीकार करें।4. आसन (Aasana) – आसन अर्पण
पांच फूल हाथ में लेकर मूर्ति के सामने रखें:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। आसनं समर्पयामि।"5. पाद्य (Paadya) – पैर धोना
गणेश जी के चरणों में जल चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। पाद्यं समर्पयामि।"6. अर्घ्य (Arghya) – हाथ धोना
मूर्ति के हाथों पर जल चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। अर्घ्यं समर्पयामि।"7. आचमन (Aachamana)
तीन बार जल चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। आचमनीयं समर्पयामि।"8. स्नान (Snaana) – अभिषेक
पंचामृत से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से:
स्नान मंत्र:
"गंगाद्यः सर्वतीर्थेभ्यः स्नानार्थे जल प्रार्थना।
ॐ गं गणपतये नमः। स्नानं समर्पयामि।"9. वस्त्र (Vastra) – वस्त्र अर्पण
लाल या पीला वस्त्र अर्पित करें:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। वस्त्रं समर्पयामि।"10. यज्ञोपवीत (Yajnopaveeta) – जनेऊ
जनेऊ या मोली चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। यज्ञोपवीतं समर्पयामि।"11. गंध (Gandha) – चंदन
लाल चंदन या हल्दी-कुमकुम का टीका लगाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। गन्धं समर्पयामि।"12. अक्षत (Akshat) – चावल
हल्दी मिले चावल चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। अक्षतान् समर्पयामि।"13. पुष्प (Pushpa) – फूल चढ़ाना
21 या 108 दूर्वा और फूल चढ़ाएं:
दूर्वा मंत्र:
"दूर्वाङ्कुरैः त्रिभिः देव सुप्रीतो भव सर्वदा।"
पुष्प मंत्र:
"ॐ गं गणपतये नमः। पुष्पाणि समर्पयामि।"
विशेष: गणेश जी को लाल फूल अत्यंत प्रिय हैं।14. धूप (Dhoopa) – धूप अर्पण
धूप या अगरबत्ती जलाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। धूपं आघ्रापयामि।"15. दीप (Deepa) – दीपक दिखाना
घी का दीपक दिखाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। दीपं दर्शयामि।"16. नैवेद्य (Naivedya) – भोग
मोदक, लड्डू और फल चढ़ाएं:
नैवेद्य मंत्र:
"शर्करा खण्ड खाद्यानि दधि क्षीर घृतानि च।
आहार जातं सर्वं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः। नैवेद्यं समर्पयामि।"17. आचमन (Aachamana) – भोजन के बाद जल
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। उत्तरापोशनं समर्पयामि।"18. ताम्बूल (Taambula) – पान-सुपारी
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। ताम्बूलं समर्पयामि।"19. दक्षिणा (Dakshina) – दान
फूलों पर सिक्के रखकर चढ़ाएं:
मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः। दक्षिणां समर्पयामि।"20. आरती (Aarti)
कपूर जलाकर आरती करें और आरती गाएं:
श्री गणेश आरती:
"जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दन्त दयावन्त, चार भुजा धारी।
माथे सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा॥
अन्धों को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥"21. प्रदक्षिणा (Pradakshina) – परिक्रमा
मूर्ति की तीन या सात बार परिक्रमा करें:
मंत्र: "यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे॥"22. नमस्कार (Namaskara) – प्रणाम
अंत में हाथ जोड़कर प्रणाम करें:
प्रणाम मंत्र:
"आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥"
अर्थ: हे परमेश्वर! मैं न तो आह्वान की विधि जानता हूं,
न विसर्जन की, न ही पूजा की। मेरी सभी त्रुटियों को क्षमा करें।प्रमुख गणेश मंत्र {#मंत्र}
1. गणेश गायत्री मंत्र:
"ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥"लाभ: बुद्धि और विवेक की वृद्धि
जप संख्या: 108 बार (प्रतिदिन)
2. वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र:
"वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"अर्थ: हे वक्रतुण्ड! हे महाकाय! हे करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी! हे देव! मेरे सभी कार्यों में सदैव विघ्नों को दूर करें।
लाभ: सभी बाधाओं का निवारण
जप समय: प्रातःकाल या कार्य शुरू करने से पहले
3. गणेश बीज मंत्र:
"ॐ गं गणपतये नमः"लाभ: सर्वसिद्धि प्राप्ति, शीघ्र फलदायक
जप संख्या: 108 या 1008 बार
4. संकष्टनाशन गणेश स्तोत्र:
"प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थ सिद्धये॥"लाभ: संकट निवारण
5. गणेश द्वादश नाम स्तोत्र:
1. सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
2. लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
3. धूमकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
4. द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
5. विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
6. संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥6. गणेश अष्टोत्तर शतनामावली:
108 नामों का जप (प्रमुख नाम):
- ॐ गजाननाय नमः
- ॐ गणाध्यक्षाय नमः
- ॐ विघ्नराजाय नमः
- ॐ विनायकाय नमः
- ॐ द्वैमातुराय नमः
- ॐ द्विमुखाय नमः
- ॐ परात्पराय नमः
- ॐ सकलात्मने नमः
7. गणेश पंचरत्न स्तोत्र:
"मुदाकरात्त मोदकं सदा विमुक्तिसाधकम्।
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम्॥
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकम्।
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम्॥"मंत्र जप के नियम:
- समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वश्रेष्ठ
- स्थान: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख
- आसन: कुश का आसन या ऊनी आसन
- माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला
- संख्या: 108, 1008 या 10,008 बार
ध्यान और साधना {#ध्यान}
गणेश ध्यान मंत्र:
"उद्यद्दिनेश्वररुचिं निजहस्तपद्मैः,
पाशांकुशाभयवरान् दधतं गजास्यम्।
रक्ताम्बरं सकलदुःखहरं गणेशम्,
ध्यायेत् प्रसन्नमखिलाभरणाभिरामम्॥"
अर्थ:
मैं उदित होते सूर्य के समान कान्तिमान, अपने हाथों में पाश,
अंकुश, अभय और वरदान धारण करने वाले, गजमुख वाले,
लाल वस्त्र धारण करने वाले, सभी दुखों को हरने वाले,
प्रसन्नमुख और समस्त आभूषणों से सुशोभित गणेश जी का ध्यान करता हूं।ध्यान विधि:
- प्रातः काल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- शांत स्थान पर पद्मासन या सुखासन में बैठें
- मेरुदण्ड सीधा रखें, आंखें बंद करें
- गणेश जी के स्वरूप का मानसिक चित्रण करें:
- गजानन (हाथी का मुख)
- लम्बोदर (बड़ा पेट)
- एकदंत (एक दांत)
- चार भुजाएं (पाश, अंकुश, मोदक, आशीर्वाद मुद्रा)
- मूषक वाहन
- लाल वस्त्र
- विभिन्न आभूषण
- “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करें
- 15-30 मिनट तक निरंतर ध्यान करें
- धीरे-धीरे आंखें खोलें और प्रणाम करें
गणेश अंग पूजा:
गणेश जी के प्रत्येक अंग की पूजा मंत्र सहित:
1. ॐ गजवदनाय नमः (मुख)
2. ॐ महाकर्णाय नमः (कान)
3. ॐ एकदन्ताय नमः (दांत)
4. ॐ लम्बोदराय नमः (पेट)
5. ॐ वक्रतुण्डाय नमः (सूंड)
6. ॐ महादेवाय नमः (पूरे शरीर को)शुभ मुहूर्त और दिवस {#मुहूर्त}
सर्वश्रेष्ठ पूजा समय:
1. दैनिक पूजा समय:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:00 से 6:00 बजे (सर्वोत्तम)
- प्रातःकाल: सुबह 6:00 से 9:00 बजे
- मध्याह्न काल: दोपहर 11:00 से 1:30 बजे (गणेश चतुर्थी पर विशेष)
- सायंकाल: शाम 5:00 से 7:00 बजे
- प्रदोष काल: सूर्यास्त के समय (विशेष फलदायक)
2. साप्ताहिक शुभ दिवस:
मंगलवार:
- गणेश जी को सर्वाधिक प्रिय
- अंगारक संकष्टी चतुर्थी (मंगलवार को संकष्टी) अत्यंत शुभ
- लाल फूल, लाल चंदन और सिंदूर का विशेष महत्व
बुधवार:
- बुध देव और गणेश जी दोनों की पूजा
- हरे वस्त्र धारण करें
- बुधवार व्रत 21 सप्ताह तक करने से विशेष लाभ
शुक्रवार:
- विशेष रूप से दक्षिण भारत में मान्य
- सूर्योदय से पहले पूजा करें
- विवाह और संतान प्राप्ति के लिए शुभ
3. मासिक शुभ तिथियां:
गणेश चतुर्थी (हर माह):
- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (प्रथम चतुर्थी)
- सिद्धिविनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है
- नए कार्यों की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम
संकष्टी चतुर्थी (हर माह):
- कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
- चंद्रोदय के समय पूजा
- व्रत रखा जाता है
- संकट निवारण के लिए विशेष
अंगारकी चतुर्थी:
- जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को हो
- 12 संकष्टी के बराबर फल
- अत्यंत शुभ और फलदायक
4. वार्षिक प्रमुख त्यौहार:
गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी):
- 2025 तिथि: 27 अगस्त 2025, बुधवार
- मुहूर्त: सुबह 11:05 से दोपहर 1:39 बजे
- चतुर्थी काल: 26 अगस्त दोपहर 1:54 से 27 अगस्त दोपहर 3:44 तक
- सबसे बड़ा गणेश उत्सव
- 1½, 3, 5, 7 या 11 दिन तक मनाया जाता है
- अनंत चतुर्दशी को विसर्जन
विसर्जन तिथि:
- 2025: 6 सितंबर 2025, शनिवार
गणेश जयंती:
- माघ शुक्ल चतुर्थी
- 2025: 1 फरवरी 2025
2025 की संकष्टी चतुर्थी तिथियां:
- 17 जनवरी 2025 (शुक्रवार) – माघ कृष्ण चतुर्थी
- 16 फरवरी 2025 (रविवार) – फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी
- 17 मार्च 2025 (सोमवार) – चैत्र कृष्ण चतुर्थी
- 16 अप्रैल 2025 (बुधवार) – वैशाख कृष्ण चतुर्थी
- 15 मई 2025 (गुरुवार) – ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी
- 14 जून 2025 (शनिवार) – आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी
- 13 जुलाई 2025 (रविवार) – श्रावण कृष्ण चतुर्थी
- 12 अगस्त 2025 (मंगलवार) – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी (अंगारकी)
- 10 सितंबर 2025 (बुधवार) – आश्विन कृष्ण चतुर्थी
- 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी
- 8 नवंबर 2025 (शनिवार) – मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्थी
- 7 दिसंबर 2025 (रविवार) – पौष कृष्ण चतुर्थी
गणेश व्रत और उपवास {#व्रत}
1. संकष्टी चतुर्थी व्रत:
व्रत का महत्व:
- सबसे प्रमुख गणेश व्रत
- प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को
- संकट निवारण और मनोकामना पूर्ति
- 13 व्रत (प्रत्येक माह + 1 अधिक माह) का चक्र
व्रत विधि:
- प्रातःकाल:
- सूर्योदय से पहले उठें
- स्नान करें
- व्रत का संकल्प लें
- गणेश पूजा करें
- उपवास नियम:
- निर्जला उपवास: बिना जल और भोजन (कठोर)
- फलाहार: फल, दूध, साबूदाना, मूंगफली (सामान्य)
- नमक रहित भोजन
- कंद-मूल (आलू, अरबी) खा सकते हैं
- संध्याकाल:
- चंद्रोदय (चांद निकलने) का समय देखें
- चांद को अर्घ्य (जल) दें
- चांद को देखने के बाद ही व्रत खोलें
- व्रत कथा सुनें
- प्रसाद ग्रहण करें
चंद्रमा को अर्घ्य विधि:
मंत्र:
"दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्॥"
अर्घ्य देते समय:
"ॐ सोमाय नमः। अर्घ्यं समर्पयामि।"2. बुधवार व्रत (बुधवार का व्रत):
व्रत का महत्व:
- बुध ग्रह और गणेश जी दोनों की पूजा
- बुद्धि, शिक्षा और व्यापार में उन्नति
- 21 लगातार बुधवार का व्रत करें
व्रत विधि:
- शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू करें
- हरे वस्त्र धारण करें
- हरे मूंग की खिचड़ी या हरी सब्जियां खाएं
- पालक, हरा धनिया पसंद का भोग
बुधवार व्रत मंत्र:
"ॐ बुधाय नमः"
"ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः"3. मंगलवार व्रत:
व्रत विधि:
- विशेष रूप से अंगारकी संकष्टी के लिए
- लाल फूल, लाल चंदन, सिंदूर का प्रयोग
- लाल वस्त्र धारण करें
- 21 मोदक का भोग
4. गणेश चतुर्थी व्रत:
व्रत विधि:
- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को
- 1½, 3, 5, 7 या 11 दिन का व्रत
- प्रतिदिन पूजा-आरती
- अंतिम दिन विसर्जन
चंद्र दर्शन निषेध:
- गणेश चतुर्थी की रात चांद नहीं देखना चाहिए
- यदि गलती से देख लें तो स्यमंतक मणि की कथा सुनें
5. गणेश जयंती व्रत:
तिथि: माघ शुक्ल चतुर्थी विधि:
- सुबह से शाम तक उपवास
- विशेष पूजा और 108 मोदक का भोग
- गणेश जन्म कथा का पाठ
व्रत के नियम और सावधानियां:
- उपवास नियम:
- पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से
- मांसाहार, मदिरा वर्जित
- प्याज, लहसुन का सेवन नहीं
- क्रोध, झूठ से बचें
- व्रत तोड़ने की विधि:
- चंद्रोदय के बाद ही
- पहले जल पिएं
- फिर प्रसाद ग्रहण करें
- हल्का सात्विक भोजन
- व्रत कथा:
- प्रत्येक माह की अलग कथा
- व्रत खोलने से पहले सुनें या पढ़ें
- परिवार के सदस्यों को सुनाएं
मुख्य संकष्टी व्रत कथाएं (13 महीनों के नाम):
- चैत्र: वरद विनायक संकष्टी
- वैशाख: वीरगणपति संकष्टी
- ज्येष्ठ: कृष्णपिंगाक्ष संकष्टी
- आषाढ़: उच्छिष्ट गणपति संकष्टी
- श्रावण: भालचंद्र संकष्टी
- भाद्रपद: विघ्नराज संकष्टी
- आश्विन: वक्रतुंड संकष्टी
- कार्तिक: गणाधिप संकष्टी
- मार्गशीर्ष: एकदंत संकष्टी
- पौष: अखुरथ संकष्टी
- माघ: लंबोदर संकष्टी या द्विजप्रिय संकष्टी
- फाल्गुन: बालचंद्र संकष्टी
- अधिक मास: विभुवनपालक महागणपति संकष्टी
विशेष पूजाएं और अनुष्ठान {#विशेष-पूजा}
1. 21 मोदक पूजा:
कब करें:
- किसी भी नए कार्य की शुरुआत में
- मंगलवार या संकष्टी चतुर्थी को
विधि:
- 21 मोदक तैयार करें
- प्रत्येक मोदक चढ़ाते समय एक-एक नाम बोलें
- गणेश के 21 नामों का जप करें
2. दूर्वा युग्म पूजा:
महत्व:
- दूर्वा गणेश जी को अत्यंत प्रिय
- सफलता और बाधा निवारण
विधि:
- 21 या 108 दूर्वा युग्म (दो-दो पत्तियां)
- प्रत्येक दूर्वा चढ़ाते समय मंत्र:
"दूर्वाङ्कुरैः त्रिभिः देव सुप्रीतो भव सर्वदा।"3. 21 परिक्रमा:
- गणेश मंदिर में 21 परिक्रमा
- “ॐ गं गणपतये नमः” का जप करते हुए
- कार्य सिद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी
4. गणेश हवन/यज्ञ:
सामग्री:
- हवन कुंड
- घी, हल्दी, दूर्वा, तिल, जौ
- गुग्गुल, चंदन, कपूर
मंत्र:
"ॐ गं गणपतये स्वाहा"विधि:
- 108 या 1008 आहुति
- प्रत्येक आहुति में “स्वाहा” बोलें
5. गणेश अभिषेक:
सामग्री:
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी)
- गंगाजल
- नारियल का जल
- चंदन का जल
विधि:
- मूर्ति को धीरे-धीरे स्नान कराएं
- मंत्र जप करते रहें
- अंत में शुद्ध जल से धोएं
6. एक विंशति नाम पूजा (21 नाम पूजा):
गणेश जी के 21 नामों से पूजा:
1. सुमुख
2. एकदंत
3. कपिल
4. गजकर्णक
5. लंबोदर
6. विकट
7. विघ्ननाश
8. विनायक
9. धूमकेतु
10. गणाध्यक्ष
11. भालचंद्र
12. गजानन
13. वक्रतुंड
14. शूर्पकर्ण
15. हेरम्ब
16. स्कंद
17. गौरीसुत
18. विघ्नहर
19. अवयग्यज्ञ
20. कपिलवर्ण
21. विश्वमुख7. गणेश यंत्र पूजा:
यंत्र स्वरूप:
3 8 1
2 4 6
7 0 5विधि:
- तांबे या भोजपत्र पर यंत्र बनाएं
- लाल चंदन से पूजा करें
- 108 बार बीज मंत्र का जप
8. रिद्धि-सिद्धि पूजा:
- गणेश जी के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि की पूजा
- समृद्धि और सफलता के लिए
सामान्य प्रश्न (FAQs) {#प्रश्न}
प्रश्न 1: गणेश जी की पूजा में कौन से फूल वर्जित हैं?
उत्तर: केवड़ा, चंपा और तुलसी के फूल गणेश जी को नहीं चढ़ाने चाहिए। लाल फूल (हिबिस्कुस, गुलाब, गेंदा) सर्वश्रेष्ठ हैं।
प्रश्न 2: गणेश जी को सबसे प्रिय भोग क्या है?
उत्तर: मोदक (उकदीचे मोदक) गणेश जी का सबसे प्रिय भोग है। इसके अलावा लड्डू, पेड़ा, और गुड़-चना भी प्रिय हैं।
प्रश्न 3: क्या गणेश चतुर्थी की रात चांद देखना वर्जित है?
उत्तर: हां, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी की रात चंद्र दर्शन निषेध है। यदि गलती से देख लें तो स्यमंतक मणि की कथा सुननी चाहिए।
प्रश्न 4: घर में गणेश मूर्ति कहां रखनी चाहिए?
उत्तर:
- पूर्व या उत्तर दिशा में
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) सर्वोत्तम
- साफ और ऊंचे स्थान पर
- शौचालय या बेडरूम के सामने नहीं
प्रश्न 5: गणेश पूजा में दूर्वा क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: दूर्वा (दूब घास) गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। यह दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक है। दूर्वा चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
प्रश्न 6: संकष्टी चतुर्थी का व्रत कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: 13 महीनों (प्रत्येक माह + अधिक मास) का एक चक्र पूरा करना चाहिए। यह लगभग 13 महीने की अवधि होती है।
प्रश्न 7: गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है?
उत्तर: विसर्जन यह प्रतीक है कि गणेश जी मिट्टी से बने और प्रकृति में वापस विलीन हो जाते हैं। यह जीवन के चक्र और अनित्यता का संदेश देता है।
प्रश्न 8: मंगलवार को गणेश पूजा क्यों विशेष है?
उत्तर: मंगल ग्रह का स्वामी और गणेश जी का संबंध है। मंगलवार को पूजा करने से बाधाएं शीघ्र दूर होती हैं। अंगारकी चतुर्थी सर्वाधिक शुभ मानी जाती है।
प्रश्न 9: गणेश पूजा में नारियल का क्या महत्व है?
उत्तर: नारियल मस्तक का प्रतीक है। इसे चढ़ाने का अर्थ है अहंकार का समर्पण। तीन आंखें ब्रह्मा-विष्णु-महेश का प्रतीक हैं।
प्रश्न 10: क्या रोज गणेश जी की पूजा करनी चाहिए?
उत्तर: हां, प्रतिदिन संक्षिप्त पूजा अत्यंत शुभ है। यदि पूर्ण विधि संभव न हो, तो केवल दीप, धूप और फूल चढ़ाकर मंत्र जप करें।
निष्कर्ष
गणेश जी की आराधना न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, बुद्धि और सफलता लाने का माध्यम है। यह लेख आपको गणेश पूजा की संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है – पूजा विधि, आवश्यक सामग्री, मंत्र, व्रत-उपवास, शुभ मुहूर्त और विशेष अनुष्ठानों की विस्तृत जानकारी।
मुख्य बिंदु याद रखें:
- श्रद्धा और भक्ति: किसी भी पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग
- नियमितता: प्रतिदिन या नियमित रूप से पूजा करें
- शुद्धता: मन, वचन और कर्म की शुद्धता
- मंत्र जप: नियमित रूप से “ॐ गं गणपतये नमः” का जप
- दूर्वा और मोदक: गणेश जी को सबसे प्रिय
- संकष्टी चतुर्थी: सबसे महत्वपूर्ण मासिक व्रत
- मंगलवार/बुधवार: सप्ताह के शुभ दिन
- विघ्नहर्ता: सभी बाधाओं को दूर करने वाले
गणपति बप्पा मोरया! मंगल मूर्ति मोरया! पुढच्या वर्षी लवकर या!
याद रखें: गणेश जी की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण है सच्ची श्रद्धा, भक्ति और पवित्र मन। विधि-विधान का पालन करें, लेकिन भक्ति से किया गया सरल पूजन भी गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
अस्वीकरण (Disclaimer)
यह लेख धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। पूजा-पाठ और अनुष्ठान करते समय अपने परिवार के पंडित या गुरु से परामर्श अवश्य लें। विभिन्न क्षेत्रों और परंपराओं में पूजा विधियों में भिन्नता हो सकती है।